Breaking News |
- World Wide
- International
- National
- State
- Union Territory
- Capital
- Social
- Political
- Legal
- Finance
- Education
- Medical
- Science & Tech.
- Information & Tech.
- Agriculture
- Industry
- Corporate
- Business
- Career
- Govt. Policy & Programme
- Health
- Sports
- Festival & Astrology
- Crime
- Men
- Women
- Outfit
- Jewellery
- Cosmetics
- Make-Up
- Romance
- Arts & Culture
- Glamour
- Film
- Fashion
- Review
- Satire
- Award
- Recipe
- Food Court
- Wild Life
- Advice

मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी के लिए सभी की सहभागिता जरुरी, जागरूकता सबसे सशक्त हथियार
- वैश्विक स्तर पर पाँच लक्ष्यों को हासिल करने की जरूरत
- क्षेत्रीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की भूमिका सबसे अहम
- पुरुषों को होना होगा अधिक संवेदनशील
मुंगेर, 07 जनवरी 2022 :
बेहतर सामुदायिक स्वास्थ्य किसी भी क्षेत्र के विकास की आधारशिला तैयार करने में सहयोगी होती है। जिसमें मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य की भूमिका सबसे अहम होती है। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। संस्थागत प्रसव, प्रसवपूर्व जाँच, प्रसव उपरांत देखभाल, नियमित टीकाकरण, गृह आधारित नवजात देखभाल, कमजोर नवजात देखभाल एवं प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृ अभियान जैसे कई अभियान हैं जिसके माध्यम से गुणवत्तापूर्ण मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन इन तमाम कार्यक्रमों की सफलता इस बात पर भी निर्भर करती है कि जन-समुदाय इनके प्रति कितने जागरूक एवं संवेदनशील हैं।
वर्ष 2025 तक वैश्विक स्तर पर 5 लक्ष्य निर्धारित :
मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए वैश्विक स्तर पर भी कई प्रयास किए जा रहे हैं । एंडिंग प्रिवेंटेबल मैटरनल मोर्टेलिटी ( ईपीएमएम) के तहत मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने की प्रतिबद्धता जाहिर की गयी है । जिसके तहत वर्ष 2025 तक वैश्विक स्तर पर 5 लक्ष्यों को हासिल करने की बात कही गयी है । पहले लक्ष्य में गर्भवती माताओं के लिए 4 प्रसव पूर्व जाँच को 90 फीसदी तक करने एवं दूसरे लक्ष्य के तहत 90 फीसदी प्रसव प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा करने पर जोर दिया गया है। तीसरे लक्ष्य में प्रसव के उपरांत 80 फीसदी माताओं को प्रसव उपरांत देखभाल प्रदान कराने एवं चौथे लक्ष्य में 60 फीसदी आबादी तक आपातकालीन प्रसूता देखभाल की उपलब्धता सुनिश्चित करने की बात कही गयी है। वहीं पांचवें लक्ष्य में 65 फीसदी महिलाओं द्वारा अपने प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर निर्णय लेने की आजादी पर बल दिया गया है।
पुरुषों की भूमिका सबसे जरुरी :
बेहतर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। लेकिन इसमें पुरुषों की भूमिका एवं भागीदारी भी उतनी ही जरुरी है। अभी भी सामन्यता परिवार में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं का निर्णय पुरुषों के ही हाथ है। प्रसव से लेकर शिशु देखभाल के लिए जरुरी स्वास्थ्य सेवाओं को मुहैया कराना पुरुषों की जिम्मेदारी होती है। ऐसी स्थिति में यह जरुरी है कि पुरुष सुरक्षित मातृत्व के विषय में जागरूक एवं संवेनशील हों। पुरुषों की जागरूकता मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में प्रभावी साबित हो सकता है।
क्षेत्रीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की भूमिका अहम :
सिविल सर्जन डॉ. हरेन्द्र आलोक ने बताया आशा एवं एएनएम स्वास्थ्य कार्यक्रमों की प्रथम एवं महत्वपूर्ण ईकाई होती है। स्वास्थ्य कार्यक्रमों का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन से लेकर लोगों को जागरूक करने में अहम भूमिका अदा करती है। मातृ एवं शिशु मृत्यु में कमी लाने के लिए ये दिन-रात कार्य कर रही हैं। कोविड के दौर में भी जिले में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य की सामान्य एवं आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू रूप से चल रही है। सुरक्षित संस्थागत प्रसव के लिए लेबर रूम में जरुरी एहतियात बरते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिन्होंने अभी तक कोविड का टीका नहीं लिया है, वह जरुर टीका ले लें । कोरोना को हराने के लिए मास्क का इस्तेमाल एवं टीका दोनों कारगर हथियार हैं।
संबंधित पोस्ट
Indian Industries to Get Global Platform as Index 2025 2.0 to Be Held in Patna,Bihar
- May 21, 2025
- 58 views
Bethal Football Academy Shines at Blue Cup Tournament Despite U-11 Final Heartbreak
- May 18, 2025
- 312 views
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar